माना मिटटी की थी इमारत , पर भावनाओ से करी थी उसकी इबादत. नीर तेरे प्रकोप से आज वो डह गई।
छीन लिया तूने उनका बसेरा, अनायास ही बिखेरा उनके जीवन मैं अँधेरा, निश्चय उनका देगा चुनॊती तुझे, फिर ले आयेंगे वो उज्जवल सवेरा।
उस आशियाने मैं बिताये थे उन्होने कई पल, सुहाने थे कई, और कुछ थे मुश्किलों भरे, शामिल होता था परिवार सारा निकालने को हल।
बहा चला तू उन जिंदगियो को, लाशो से भर गया है जल।
रूकती कहा है ज़िन्दगी, रफ़्तार धीमी हो जाये चाहे, अपना लेगी इन परिस्थितियों को, नए रूप में जाएगी ढल।
तमाशबीन है ये दुनिया तुम्हे मनोरंजन का बना देंगे सोत्र, मतलबी ये नेता सारे मदद करने से पहले पूछेंगे तुम्हारा गोत्र।
फसना न तुम इनके जाल मैं, न तुम न हैवान बनना, कठिन दिखे ये राह जितनी तुम इक मज़बूत इंसान बनना।
खोया है कईयों ने बचपन तो कई खो के साथी जीवन का, अकेले चढ़ रहे है उम्र की सीढ़ी पचपन।
खोये हुए अपनों की यादों मैं डूब तुम कुछ न पाओगे, जब जब लौटोगे तुम उस समय में, बेबसी के हाथो वक़्त तुमको हराएगा. खो दोगे फिर तुम चैन आज का , इक लम्हा भी न तुमसे जाएगा।
डूब गए कई खून के रिश्ते, भावनाओ के इस अत्याचार से कांपे है फ़रिशते।
सहानुभूति के सहारे जियोगे कब तक, आंसुओ के आगे हमेशा खुद को कमजोर पाओगे, मुस्कुराने को न कहती तुम्हे, पर हिम्मत जुटा, आत्म विश्वास बना तुम्हारा लड़ के जीने का वादा ही तुम्हें नयी ज़िन्दगी दिलाएगा।
truly speechless. . . . .
ReplyDeleteThank You Onkar
DeleteThats Awesome and really inspirational ....may god give them more power to face the situation....
ReplyDeleteThank You Rajkumar Yadav
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